Shiv chaisa Secrets
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दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
सांचों थारो नाम हैं सांचों दरबार हैं - भजन
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शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। येहि अवसर मोहि आन उबारो॥
सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥ किया तपहिं भागीरथ भारी ।
अथ श्री बृहस्पतिवार व्रत कथा
शनिदेव मैं सुमिरौं तोही। विद्या बुद्धि ज्ञान Shiv chaisa दो मोही॥ तुम्हरो नाम अनेक बखानौं। क्षुद्रबुद्धि मैं जो कुछ जानौं॥
पाठ पूरा हो जाने पर कलश का जल सारे घर में छिड़क दें।
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥